कंपनी
एफ एस एन एल, भारत सरकार, इस्पात मंत्रालय के अधीन आई एम एस प्रमाणित मिनी रत्न-2 श्रेणी की संस्थान है। एफ एस एन एल, एम एस टी सी लिमिटेड के संपूर्ण स्वामित्व की सहायिका संस्थान है जिसका अधिकृत अंश पूंजी रु.50 करोड़ एवं प्रदत्त अंशपूंजी रु.32 करोड़ है |
वर्षानुगत क्रम में एफ एस एन एल, स्टील मिल सेवा क्षेत्र की एक प्रवर्तक संस्थान बन चुकी है। वर्तमान में देश के आठ इस्पात संयत्रों, एवं बीएचईएल-हरिद्वार, रेल-व्हील फैक्ट्री-बंगलूरू आदि में यह संस्थान कार्य कर रही है तथा अपने विश्वस्तरीय तकनीक के आधार पर प्रतिस्पर्धी दर पर सेवाएं प्रदान करती है।
प्रमुख कार्य
स्क्रैप एवं इसके प्रकार
फेरस स्क्रैप रिकवरी एक ऐसी प्रक्रिया है जो लौह एवं इस्पात उत्पादन के समय निकलने वाले मलबे एवं अवशेषों, जिन्हें व्यर्थ पदार्थ समझा जाता था, में से लौह मिश्रित धातुओं को प्रक्रमित किया जाता है। इसका उद्धेश्य देश के करोड़ों रुपय मूल्य के धातुओं का वार्षिक पुनश्चक्रण है, जिससे बहुमूल्य कच्चे मालों की बचत होती है।
कालांतर में यह प्रमाणित किया गया कि इस्पात उत्पादन में इस तरह प्राप्त लौह मिश्रित धातुओं का उपयोग करने से यथेष्ट मात्रा की ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधनों की बचत होती है।
बीएफ/बीओएफ मार्ग की तुलना में स्टील स्क्रैप का उपयोग कर 1 टन कच्चे इस्पात के उत्पादन से -
- 74 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होती है।
- 90 प्रतिशत प्राकृतिक सामग्रियों की बचत होती है- 1 टन स्क्रैप से 1.5 एमटी लौह अयस्क, 0.9 एमटी कोयला एवं 0.5 एमटी चूने के पत्थर की बचत होती है।
- जल की आवश्यकता में 40 प्रतिशत की बचत एवं जल प्रदूषण में 76 प्रतिशत की कमी
- वायु प्रदूषण में 85 प्रतिशत की कमी, तथा
- खनन अवशेषों में 97 प्रतिशत की कमी होती है।
लौह एवं इस्पात उत्पादन के समय हर बार, अनुमानतः उत्पादित धातु के 4 से 7 प्रतिशत के मध्य धात्विक ह्रास होता है, जिसे ‘‘स्क्रैप’’ कहते हैं।
स्क्रैप मूलतः दो प्रकार के होते हैं।
प्राथमिक स्क्रैप : प्राथमिक स्क्रैप अपेक्षाकृत शुद्ध एवं तकरीबन स्लैग से मुक्त होते हैं एवं इसके प्रक्रमण के लिए स्लैग से पृथक्करण की आवश्यकता नही होती है। इसके प्रक्रमण मे, इस्पात उत्पादन हेतु पुनर्गलन के लिए इसके आकार की कटौती शामिल होती है।
द्वितीयक/अनुपूर्वक स्क्रैप : द्वितीयक स्क्रैप में, स्लैग, अवशेष, मलबे, रिफ्रैक्टरी जैसी अशुद्धियां सम्मिश्रित होती हैं, जिसकी पुनर्प्राप्ति के लिए एक विशेष पूंजिगत प्रखर यांत्रिकीय प्रक्रमण की आवश्यकता होती है।
स्क्रैप पुनर्पाप्ति पद्धतियों.
मानवीय पद्धति :
- हाथों से स्क्रैप चुनना
- बडे टुकडों के लिए छेनी-हथौडा का मानवीय प्रयोग
- हैण्ड लोडिंग
अर्द्ध-यांत्रिकीय पद्धति :
- हस्त संचालन एवं टुकड़ों में विभाजित करने की संयुक्त प्रक्रिया
- लोडिंग हेतु कम क्षमता के उपकरणों का प्रयोग
यांत्रिकीय पद्धति (चलित) : बडे एवं पूंजिगत सघन प्रक्रमण एवं लोडिंग उपकरणों का प्रयोग जैसे -
- चुंबकयुक्त क्राॅलर इलेक्ट्रिक/डीज़ल क्रेन
- हाइड्रोलिक एक्सकावेटर
- मैग्नेटिक सेपरेटर (चलित)
यांत्रिकीय पद्धति (स्थैतिक) : निम्न सुविधाओं से लैस स्थैतिक संयंत्र -
- कन्वेयर
- हाॅपर
- फीडर
- मैग्नेटड्रम
- स्क्रीन
- चुंबकयुक्त क्राॅलर इलेक्ट्रिक/डीज़ल क्रेन
- हाइड्रोलिक एक्सकावेटर
सेल एवं आर आई एन एल संयंत्रों में संचालन
गतिविधियां :
- आयरन एंड स्टील स्क्रैप का रिकवरी और प्रोसेसिंग
- ब्लास्ट फर्नेंस तथा स्टील मिल शॉप में हॉट स्लैग पिट प्रबंधन
- लांसिंग /बॉलिंग के द्वारा आयरन एंड स्टील स्कल्स का हैंडलिंग एवं प्रोसेसिंग
- मिल रिजेक्टों का संकलन एवं प्रक्रमण
- रिजेक्टेड रेलों /इंगट /स्लैब /ब्लूम /बिलेट /पिग आयरन इत्यादि का संकलन एवं प्रक्रमण
- स्लैबों की स्कार्फिंग
- सिंटर प्लांट के उपयोग हेतु एलडी स्लैग की क्रशिंग एवं स्क्रीनिंग
- मैटेलिक रिकवरी के पश्चात वर्कड थ्रू स्लैग की ढुलाई
- स्लड्ज एवं राख, लाइम डस्ट , मिल स्केल इत्यादि की हैंन्डिलिंग
- एसिड न्यूट्रलीजेशन
- कस्टोडियन सर्विसेस
- एफ इ इनरिच्मेंट प्लांट से कम ग्रेड के स्क्रैप में वैल्यू एडिसन करना
- डिस्पोजल यार्ड मैनेजमेंट
- रिफ्रैक्टरी ईंटों का पृथक्करण