स्टील मिल सेवा
भारत वर्ष में धात्विक स्क्रैप रेकव्हरी एवं स्लैग ढुलाई के क्षेत्र में एफ एस एन एल एक मार्ग-निर्माता है। एफ एस एन एल, अपने परिष्कृत एवं विशेष रूप से अभिकल्पित स्थैतिक एवं चल उपकरणों तथा सुविज्ञ कार्मिकों के माध्यम से अत्यधिक गर्म धातु एवं स्लैग का संचलन करती है, जिससे उसके ग्राहकों का ध्यान इस्पात उत्पादन के अपने मूल कार्य पर केन्द्रित रह पाता है।
पुनर्प्राप्त स्क्रैप से ग्राहक इस्पात संयंत्रों की लाभप्रदता बढ़ती है। धात्विक पुनर्प्राप्ति के उपरांत शेष बची स्लैग का प्रक्रमण किया जाता है, जिसका, सिंटर प्लांट, ब्लाॅस्ट फर्नेस आदि में चूना पत्थर के विकल्प के रूप में पुनश्चक्रण होता है तथा सड़क निर्माण, रेल बलास्ट आदि में उपयोग होता है। कंपनी द्वारा प्रयुक्त तकनीक से स्लैग, एक उपयोगी एवं पर्यावरण सम्मत सामग्री के रूप में परिवर्तित होकर ग्राहक इस्पात संयंत्रों की लाभप्रदता बढाने के साथ-साथ वाणिज्यिक विक्रय के माध्यम से ग्राहकों के लिए राजस्व अर्जन करती है।
एफ एस एन एल की रेकव्हरी प्रणाली, धातुओं की पुनर्प्राप्ति के संवर्धन से उसके ग्राहक इस्पात संयंत्रों की लाभप्रदता बढती है, चूंकि बाहरी स्त्रोतों से खरीदे गए स्क्रैप के स्थान पर पुनप्र्रापत धातुओं का उपयोग करने से इस्पात संयंत्रों की लागत में अत्यधिक बचत होती है।
इसके अलावा, यह भी प्रमाणित हुआ है कि एफ एस एन एल द्वारा प्रदत्त पुनप्र्राप्त धातुओं के उपयोग से ग्राहक इस्पात संयंत्रों को ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधनों की काफी बचत होती है।
बीएफ/बीओएफ मार्ग की तुलना में स्टील स्क्रैप का उपयोग कर 1 टन कच्चे इस्पात के उत्पादन से -
- 74 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होती है।
- 90 प्रतिशत प्राकृतिक सामग्रियों की बचत होती है- 1 टन स्क्रैप से 1.5 एमटी लौह अयस्क, 0.9 एमटी कोयला एवं 0.5 एमटी चूने के पत्थर की बचत होती है।
- जल की आवश्यकता में 40 प्रतिशत की बचत एवं जल प्रदूषण में 76 प्रतिशत की कमी
- वायु प्रदूषण में 85 प्रतिशत की कमी, तथा
- खनन अवशेषों में 97 प्रतिशत की कमी होती है।
लौह एवं इस्पात उत्पादन के समय हरबार, अनुमानतः उत्पादित धातु के 4 से 7 प्रतिशत के मध्य धात्विक ह्रास होता है, जिसे ‘‘स्क्रैप’’ कहते हैं।
स्क्रैप मूलतः दो प्रकार के होते हैं।
प्राथमिक स्क्रैप : प्राथमिक स्क्रैप अपेक्षाकृत शुद्ध एवं तकरीबन स्लैग से मुक्त होते हैं एवं इस के प्रक्रमण के लिए स्लैग से पृथक्करण की आवश्यकता नही होती है। इसके प्रक्रमण मे, इस्पात उत्पादन हेतु पुनर्गलन के लिए इसके आकार की कटौती शामिल होती है।
द्वितीयक/अनुपूर्वक स्क्रैप : द्वितीयक स्क्रैप में, स्लैग, अवशेष, मलबे, रिफ्रैक्टरी जैसी अशुद्धियां सम्मिश्रित होती हैं, जिसकी पुनर्प्राप्ति के लिए एक विशेष पूंजिगत प्रखर यांत्रिकीय प्रक्रमण की आवश्यकता होती है।
स्क्रैप पुनर्पाप्ति पद्धतियों.
मानवीय पद्धति :
- हाथों से चुनना
- बडे टुकडों के लिए छेनी-हथौडा का मानवीय प्रयोग
- हस्तलोडिंग
अर्द्ध-यांत्रिकीय पद्धति :
- हस्त संचालन एवं टुकड़ों में विभाजित करने की संयुक्त प्रक्रिया
- लोडिंग हेतु कम क्षमता के उपकरणों का प्रयोग
यांत्रिकीय पद्धति (चलित) : बडे एवं पूंजिगत सघन प्रक्रमण एवं लोडिंग उपकरणों का प्रयोग जैसे -
- चुंबकयुक्त क्राॅलर इलेक्ट्रिक/डीज़ल क्रेन
- हाइड्रोलिक एक्सकावेटर
- मैग्नेटिक सेपरेटर (चलित)
यांत्रिकीय पद्धति (स्थैतिक) : निम्न सुविधाओं से लैस स्थैतिक संयंत्र -
- कन्वेयर
- हाॅपर
- फीडर
- मैग्नेटड्रम
- स्क्रीन
- चुंबकयुक्त क्राॅलर इलेक्ट्रिक/डीज़ल क्रेन
- हाइड्रोलिक एक्सकावेटर
सेल, आर आई एन एल, मिधानी एवं एनएमडीसी स्टील संयंत्रों में संचालन
गतिविधियां :
- आयरन एंड स्टील स्क्रैप का रिकवरी और प्रोसेसिंग
- ब्लास्ट फर्नेंस तथा स्टील मिल शॉप में हॉट स्लैग पिट प्रबंधन
- लांसिंग /बॉलिंग के द्वारा आयरन एंड स्टील स्कल्स का हैंडलिंग एवं प्रोसेसिंग
- मिल रिजेक्टों का संकलन एवं प्रक्रमण
- रिजेक्टेड रेलों /इंगट /स्लैब /ब्लूम /बिलेट /पिग आयरन इत्यादि का संकलन एवं प्रक्रमण
- स्लैबों की स्कार्फिंग
- सिंटर प्लांट के उपयोग हेतु एलडी स्लैग की क्रशिंग एवं स्क्रीनिंग
- मैटेलिक रिकवरी के पश्चात वर्कड थ्रू स्लैग की ढुलाई
- स्लड्ज एवं राख, लाइम डस्ट , मिल स्केल इत्यादि की हैंन्डिलिंग
- एसिड न्यूट्रलीजेशन
- एफ इ इनरिच्मेंट प्लांट से कम ग्रेड के स्क्रैप में वैल्यू एडिसन करना
- रिफ्रैक्टरी ईंटों का पृथक्करण