एफ एस एन एल की गाथा
भारत में स्क्रैप प्रोसेसिंग कारोबार की शुरूआत वर्ष 1956 में तब प्रारंभ हुई जब तत्कालीन टिस्को के प्रबंध निदेशक ने अमेरिका के मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी (यूएसए के हाॅर्सको कार्पोरेशन की शाखा) से वार्तालाप की थी, जिसे विश्व में स्क्रैप रिकवरी तकनीक का प्रवर्तक माना जाता है । फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड की पूर्ववर्ती संस्था मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी (यूएसए) द्वारा वर्ष 1957 के दौरान भारत में अपना कार्य टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (तत्कालीन टिस्को, जमशेदपुर) में यांत्रिकीय स्क्रैप रिकवरी के रूप में प्रारंभ किया । तदोपरांत वर्ष 1962 में राउरकेला इस्पात संयंत्र एवं वर्ष 1964 में सेल-आईएसपी (तत्कालीन इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी), बर्नपुर द्वारा भी उपरोक्त संस्थान को स्क्रैप रिकवरी का कार्य प्रदान किया गया।
मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी (यूएसए), भारत में अमेरिकन संस्थान की एक शाखा के रूप में कार्यरत थी । भारत में विदेशी विनिमय अधिनियम, 1947 (फेरा) लागू हो जाने पर मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी (यूएसए) के पास दो ही विकल्प थे, या तो भारत से अपना कारोबार समेटना अथवा किसी भारतीय संस्था को बहुमत अंश के साथ भागीदार बनाना । उपरोक्त संस्था का भारत में अपना कारोबार जारी रखना भारतीय इस्पात संयंत्रों के लिये लाभदायक था, अतएव एक नये संस्थान का गठन ही एकमात्र सही विकल्प माना गया ।
भारत सरकार की अपेक्षा थी कि मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी (यूएसए) के क्रियाकलाप भारतीय संस्थान द्वारा किये जाएं । तद्नुसार एम एस टी सी लिमिटेड (तत्कालीन मेटल स्क्रैप ट्रेड कारपोरेशन लिमिटेड) जो उस समय स्टील अथाॅरिटी आॅफ इंडिया लिमिटेड की एक सहायिका संस्थान थी, को इस संदर्भ में आवश्यक पहल करने हेतु निर्देशित किया गया। एम एस टी सी लिमिटेड द्वारा इस संबंध में बृहत् अध्ययन के पश्चात इस कारोबार के लिए एक स्वतंत्र संस्थान के निर्माण की संस्तुति दी गयी और इस तरह 28 मार्च, 1979 को मे. हार्सको इन कारपोरेशन, यूएसए के सहयोग के साथ फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड अस्तित्व में आई ।
मे. हेकेट इंजीनियरिंग कंपनी की यांत्रिकीय स्क्रैप रिकवरी प्रोसिसिंग तकनीक एवं इसके समस्त मशीन तथा मानव संसाधनों को एफ एस एन एल में हस्ताक्षरित किया गया, जिसका 60 प्रतिशत अंश एम एस टी सी लिमिटेड एवं शेष 40 प्रतिशत अंश हाॅर्सको कारपोरेशन के पास था । प्रारंभ में एफ एस एन एल, सेल की सहायिका संस्थान थी, जिसे वर्ष 1982 में एम एस टी सी लिमिटेड के साथ सेल से अलग किया गया । वर्ष 2002 में मे. हार्सको कारपोरेशन द्वारा अपना 40 प्रतिशत अंश भी एम एस टी सी लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया एवं तदानुसार एफ एस एन एल, एम.एस.टी.सी. लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली संस्थान बन गयी ।
मे. टीयूवी द्वारा एफ एस एन एल को आई एम एस (एकीकृत प्रबंधन पद्धति), आइ एस ओ 9001:2015, आई एस ओ 14001:2015, तथा आई एस ओ 45001:2018 प्रदान किया गया है ।
एफ एस एन एल की कार्यरत इकाईयाॅं
क्र.सं. | स्थान | इस्पात संयंत्र | प्रारंभ |
1. | राउरकेला | सेल-आर एस पी | 1962 |
2. | बर्नपुर | सेल-इस्को | 1964 |
3. | भिलाई | सेल-बीएसपी | 1983 |
4. | बोेकारो | सेल-बीएसएल | 1984 |
5. | विशाखापट्टणम | आरआईएनएल-व्हीएसपी | 1990 |
6. | दुर्गापुर | सेल-डीएसपी | 1991 |
7. | भद्रावती | सेल-व्हीआईएसएल | 2015 |
8. | सेलम | सेल-एसएसपी | 2015 |
9. | हजीरा | आर्सेलर मित्तल/निप्पॉन स्टील | 2017 |
10. | हैदराबाद | मिधानी | 2019 |